ऐ दोस्त मेरे अब तु भी आ
चल पकड़ हाथ, अब साथ साथ
स्कूल की सीढ़ी चढ़ते हैं
तु तिपहिए पर मै दो पैरों से
चल इक दौड़ लगाते हैं
चल टिफीन साथ मे खाएंगें
चल हुड़दंग खुब मचाएंगे
कभी पढ़ना लिखना होगा तो
कभी खेल तमाशे भी होंगे
ऐ दोस्त मेरे अब तु भी आ
तु देख नहीं सकता तो क्या
मै दुनिया तुझे दिखलाऊंगा
जीवन के अंधेरी पथ पर
चलना मै सीख जाऊंगा
तु सुन नहीं सकता तो क्या
मै श्रवण यंत्र बना जाऊंगा
हर पल की आपाधापी मे
आक्षेप सुनना सीख जाऊंगा
ऐ दोस्त मेरे अब तु भी आ
तु बोल नहीं सकता तो क्या
मै आवाज तेरी बना जाऊँगा
बेसुरी शोर भरी इस दुनिया मे
मीठी बातें कर पाऊँगा
जो समझ कुछ भी ना पाये तु तो
मै हर बात समझाऊंगा
चाल बाजों से भरी जगत मे
इन्सान थोड़ा बन पाऊंगा
ऐ दोस्त मेरे अब तु भी आ
तु गिरकर उठता है हर दिन
मै खड़े खड़े ही गिरता हर दिन
जो तेरा साथ मिल जाएगा तो
जीवन भर पत्थरीली डगर पर
गिरकर उठना सीख जाऊँगा
तेरी सोच हमारे जैसी नहीं
तेरी नजर हमारे जैसी नहीं
तेरे काम समझ ना पाता हूँ
फिर भी बस यही गाता हूँ
ऐ दोस्त मेरे अब तु भी आ
ऐ दोस्त मेरे अब तु भी आ
अनिश कुमार
1 टिप्पणी:
Nice line and Excellent poem
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