रावण पूछे
पूछ रहा है रावण देखो
जलते हुए अंगारों से
कब तक जलाओगे मुझको
इन ठंडी होती तापों से
हर घर में इक रावण बैठा,
तुम राम कहां से लाओगे
जब तक राम नहीं आता,
तुम ताप कहां से लाओगे
हर वर्ष जलाते हो मुझको,
क्यों पड़ी जरूरत ऐसी आन
खत्म करो कहानी अबकी बार,
ले आओ धनुष और बाण
है दम अगर तुझमें तो
'कोदंड' इस बार उठा लेना
और उसपर ब्रह्मास्त्र,
खींच जोर से चला देना
हो राम अगर तुम में कोई
तभी उठा तुम शस्त्र चलाना
वरना इस बार दशहरा में
खुद के दस चेहरों को जलाना
हे राम गलत मैंने किया
सीते की छाया उठा लाया
हर वर्ष जलाये हो मुझको
पर नष्ट कभी न कर पाया
हर वर्ष मुझे जलाते हो
हर दिन मैं आ जाता हूँ
कभी यहाँ कभी वहाँ
मैं अपना रुप दिखाता हूँ
अनिश कुमार
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