मेरी कविता
आवाज मेरी जब दब सी जाती
मुखर होती तब मेरी कविता
अनन्त भीड़ जब गुम कर देती
राह सूझाती मेरी कविता
संघर्ष पथ पर स्वत: जुड़ती
छाया बन जाती मेरी कविता
मेरे भावों को, उद्गारों को
पन्ने पर सजाती मेरी कविता
भाव बिह्वल जब जीवन करता
झर झर बहती मेरी कविता
छटा सुहानी जब भी होती
हंसती मुस्काती मेरी कविता
विचलित हूँ तो राह दिखाती
हमराही बनती मेरी कविता
उद्वेलित जब मन होता
कलम उठाती मेरी कविता
मरुभूमि में ठंढक पहुँचाती
मरुद्यान सी मेरी कविता
इंटरनेट पर सहमी सिकुड़ी
अमर हो रही मेरी कविता
अनिश कुमार
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