ये कैसा जहर घुला है हवाओं में मेरे शहर का
अब तो सांस भी लेना मुश्किल हुआ है मेरे शहर का
जन्नत समझ छोड़ आए थे गाँव को अपने यहाँ
चन्द पल गुजरना मुश्किल हुआ है मेरे शहर का
अजीब सी वीरानी से सामना है मेरे शहर का
कहकहें अब आंसू से भरे हैं मेरे शहर का
रिश्ते नाते दोस्त दुश्मन अंजान बने बैठे हैं घरों में
कब्र फूल नहीं प्लास्टिक के थैलों से भरे हैं मेरे शहर का
अस्पतालों में नाचती रही मौत और बाहर बिक गई सांसे
इन्सानियत मर रहा है मेरे शहर का
हर तरफ एम्बुलेंस का शोर है बस
और सब समाचार ठीक है मेरे शहर का
सियासतदान ना आयें हाथ जोड़े मेरे मुहल्ले में
चुल्लू भर पानी भी नहीं बचा देने को मेरे शहर का
मेरे प्रभु, हवा खरीद ली हमने दान के लिए रखे पैसों से
सुना है बहुत अमीर हैं मंदिर मेरे शहर का
अनिश कुमार
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