चुन चुन कर घोड़े सजाना
तुम अपने अस्तबलों मे
चाहे दवाएं ना रहे
हमारे गांव के अस्पतालों में
कुछ पागल हाथी भी ले आना
तुम सोनपुर के मेले से
चाहे जनता मरते रहे
भीड़ - भाड़ और ठेले से
तलवारें खंजर और भाले
दे देंगे कुछ जंगी दोस्त
मांग बैठो गर चन्द किताबें
फिर ना तुम्हारे ये होने वाले
अस्त्र सुसज्जित शस्त्र सुसज्जित
कर देंगे सब तुमको आज
सड़क किनारे बैठा भिखारी
तन ढकने को तरसे आज
काले बाल दे रहा कुर्बानी
नष्ट हो रहा सिन्धु घाटी
राज भोग रहे बाल सफेदी
बिपतियों से रो रहा जग माटी
कुछ बारूद मेरे घर से ले लेना
अन्न जल जो बचे वो भी ले लेना
पीढ़ियों को स्वाहा करके
तुम बासठ का बदला ले लेना
तुम बासठ का बदला ले लेना
अनिश कुमार
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