बारिश की पहली बूंद
वो बारिश की पहली बूंद का धरा से मिलना
जैसे तपती धरती को देख आसमां का रोना
वो रोकर गरज कर चिल्लाकर बताना
बहुत दूर ही सही पर हूँ तो मैं तेरा ही अपना
वो बारिश की पहली बूंद का धरा से मिलना
जैसे वक्त बाद किसी बिछड़े का अपने से मिलना
वो मिलकर एकदूजे में समा जाना
और समाकर सोंधी खुश्बू फैलाना
वो बारिश की पहली बूंद का धरा से मिलना
जैसे किसी रुठे से शिकवे शिकायत मिटाना
शिकायत मिटाकर फिर एक हो जाना
और एक होकर हरियाली फैलाना
वो बारिश की पहली बूंद का धरा से मिलना
जैसे मिलन की चाह में धूल आंधियों से गुजरना
धूल आंधियों से गुजरकर अपनी हसरत को पाना
और उसे पाकर खुशियाँ फैलाना
अनिश कुमार
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