मंगलवार, 30 अप्रैल 2019

सुख


सुख, क्या है यह सुख
कीचड़ में कूदता
बारिश में भींगता
कागज की कश्ती
बनाकर तैराता
बल्ला उठाकर 
धूप में भांजता
बगीचे से कच्चे
आम तोड़ता
तितली पकड़ता
पतंग उड़ाता
यही बचपन 
तो है सुख

पापा के कंधों पर
मेला घूमता
माँ के आँचल में
डरकर छुपता
चाचा से जिदकर
टाॅफी लेता
दादा की छड़ी पकड़
गाँव भर घुमाता
दादी के पास सोकर
कहानियाँ सुनता
बुआ संग छुपकर
इमली खाता
यही बचपन
तो है सुख

बगैर आंसू गिराये
जोर से रोता
ज़िद पूरी होते ही
खुलकर हंसता
खाने से ज्यादा
खिलौनों की चिंता
मेहमान के आते ही
समोसों की चिंता
बेतरतीब कमरे
न सजाने की चिंता
चिप्स का जुगाड़
कार्टून की चिंता
हंसता मुस्कराता
यही बचपन
तो है सुख

अनिश कुमार


रविवार, 28 अप्रैल 2019

चुनावी सभाएं


चुनावी सभाएं

हिन्दू मुस्लिम में बांटती चुनावी सभाएं
मैं अगड़ा मैं पिछड़ा बताती चुनावी सभाएं
जाति व्यवस्था प्रगाढ़ करती चुनावी सभाएं
वोट वास्ते समाज को तोड़ती चुनावी सभाएं
बापू देखो ना, कितना डराती हैं चुनावी सभाएं

लोकतंत्र में क्या ऐसी भी होंगी सभाएं
बापू तुमने तो कभी न कि ऐसी सभाएं
आओ ना फिर से एक बार अपने देश में
देखो किन शब्दों से की जा रही हैं सभाएं
मतदान का खत्म होता हर एक दौर रूलाती हैं
बापू देखो ना, कितना डराती हैं चुनावी सभाएं

ना जाने कौन लोग आते हैं इन सभाओं में
खुद के हाथों से सबकुछ लुटाते हैं सभाओं में
कांपता है दिल बांस बल्लियां मैदान में गिरते ही 
आज फिर जलेगा मेरा शहर शामियाना हटते ही
देश गढ़ती नहीं समाज तोड़ती हैं चुनावी सभाएं
बापू देखो ना, कितना डराती हैं चुनावी सभाएं

मंदिर मस्जिद कब तक वोटों की फैक्ट्री रहेंगे
बिजली सड़क पानी कब चुनावी मुद्दा बनेंगे
क्या अब कभी गरीब गुरबा भी नेता बनेंगे
अब ना जनता आएगी ना सिंहासन खाली होंगे
जो सबसे ज्यादा डरा सकेंगे वो राजा होंगे
साम दाम दंड भेद सिखाती हैं चुनावी सभाएं
बापू देखो ना, कितना डराती हैं चुनावी सभाएं

काश पाँच साल का हिसाब मांगती चुनावी सभाएं
काश पाँच साल का प्लान मांगती चुनावी सभाएं
काश एक चुनाव ऐसा होता जिसमें,
बच्चों के उज्वल भविष्य की कामना होती
काश एक चुनाव ऐसा होता जिसमें,
सौहार्द की संकल्पना होती
एक चुनाव तो ऐसा होता जिसमें,
ना धर्म होता ना जाति, ना अगड़ा होता ना पिछड़ा
बापू और गोडसे एक साथ सभा करते
फिर कभी ना डराती चुनावी सभाएं
फिर कभी ना डराती चुनावी सभाएं

अनिश कुमार

शनिवार, 27 अप्रैल 2019

महात्योहार


महात्योहार

जोश है जुनून है
उमंग है तरंग है
खुशी है गम है 
राग है रंग है
जीत है हार है
यह महात्योहार है

उंगली में स्याह है
लोकतंत्र का गवाह है
वादों का हिसाब है
पोषकों की जीत है
शोषकों की हार है
यह महात्योहार है

आजादी का जश्न है
सबसे बड़ा रश्म है
पाँच साल का इन्तज़ार है
देश का प्यार है
आम जन का हथियार है
यह महात्योहार है

विश्व पटल में पहचान है
दुनिया इससे अनजान है 
भविष्य की परवाह है
विकास की राह है
उम्मीदें हजार है
यह महात्योहार है

अनिश कुमार

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